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________________ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ६ निग्रंथों का स्वरूप २ अणाभोगबउसे ३ संवुडबउसे ४ असंवुडबउसे ५ अहासुहुमबउसे णाम पंचमे। भावार्थ-३ प्रश्न-हे भगवन् ! बकुश कितने प्रकार के कहे हैं ? . ३ उत्तर-हे गौतम ! बकुश पांच प्रकार के कहे हैं । यथा-१ आभोगबकुश २ अनाभोगबकुश ३ संवृतबकुश ४ असंवतबकुश और ५ यथासूक्ष्म बकुश । ४ प्रश्न-कुसीले णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? ४ उत्तर-गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पडिसेवणाकुसीले य कसायकुसीले य। भावार्थ-४ प्रश्न-हे भगवन् ! कुशील कितने प्रकार के कहे हैं ? ४ उत्तर-हे गौतम ! कुशील दो प्रकार के कहे हैं । यथा-१ प्रतिसेवना कुशील और २ कषायकुशील । ... ५ प्रश्न-पडिसेवणाकुसीले णं भंते ! काइपिहे पण्णत्ते ?. .. . . ५ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-१ णाणपडिसेवणाकुसीले २ दंसणपडिसेवणाकुसीले ३ चरित्तपडिसेवणाकुसीले ४ लिंगपडिसेवणाकुसीले ५ अहासुहुमपडिसेवणाकुसीले णामं पंचमे । भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! प्रतिसेवना कुशील कितने प्रकार के कहे हैं। ५ उत्तर-हे गौतम ! प्रतिसेवना कुशील पांच प्रकार के कहे हैं । यथा१ज्ञानप्रतिसेवना कुशील २ दर्शनप्रतिसेवना कुशील ३ चारित्रप्रतिसेवना कुशील ५ लिंगप्रतिसेवना कुशील और ५ यथासूक्ष्मप्रतिसेवना कुशील। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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