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________________ निग्रंथों का स्वरूप १ प्रश्न-रायगिहे जाव एवं वयासी-कइ णं भंते ! णियंठा पण्णत्ता ? १ उत्तर-गोयमा ! पंच णियंठा पण्णत्ता, तं जहा-१ पुलाए २ बउसे ३ कुसीले ४ णियंठे ५ सिणाए । कठिन शब्दार्थ-णियंठे---निग्रंथ । भावार्थ-१ प्रश्न-राजगृह नगर में गौतमस्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा-“हे भगवन् ! निग्रंथ कितने प्रकार के कहे हैं ?" । १ उत्तर-हे गौतम ! निग्रंथ पांच प्रकार के कहे हैं । यथा-१ पुलाक २ बकुश ३ कुशील ४ निग्रंथ और ५ स्नातक । २ प्रश्न-पुलाए णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? २ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे पण्णते, तं जहा-१ णाणपुलाए २ दंसणपुलाए ३ चरित्तपुलाए ४ लिंगपुलाए ५ अहासुहमपुलाए णामं पंचमे। भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन् ! पुलाक कितने प्रकार के कहे हैं ? २ उत्तर-हे गौतम ! पुलाक पांच प्रकार के कहे हैं । यथा-१ ज्ञानपुलाक २ दर्शनपुलाक ३ चारित्रपुलाक ४ लिंगपुलाक और ५ यथासूक्ष्मपुलाक। ३ प्रश्न-बउसे णं भंते ! कइविहे पण्णते ?. ३ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-१ आभोगवउसे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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