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________________ भगवती सूत्र -श. २५ उ. ४ पुद्गल सकम्प - निष्कम्प ११९ प्रश्न - णिरेयस्स केवइयं ० ? ११९ उत्तर- मट्टानंतरं पडुच जहणेणं एक्कं समयं उकोसेणं आवलियाए असंखेजड़भागं, परट्टानंतरं पडुच जहणेणं एक्कं समयं, कोसे अनंतं कालं । एवं जाव अनंतपए सियस्स । भावार्थ - ११९ प्रश्न- - हे भगवन् ! निष्कम्पक द्विप्रदेशी स्कंध का अंतर कितने काल का होता है ? ११९ उत्तर - हे गौतम! स्वस्थान में जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आलिका के असंख्यातवें भाग तथा परस्थान में जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनंत काल का अंतर होता है। इस प्रकार यावत् अनंत प्रदेशी स्कन्ध तक । १२० प्रश्न - परमाणुपोग्गलाणं भंते ! सव्वेयाणं केवइयं कालं अंतरं होइ ? १२० उत्तर - णत्थि अंतरं । भावार्थ - १२० प्रश्न - हे भगवन् ! सव-कम्पक परमाणु-पुद्गलों का अंतर कितने काल का होता है ? १२० उत्तर - हे गौतम ! अन्तर नहीं होता । ३३२५ १२१ प्रश्न - णिरेयाणं केवइयं ० ? १२१ उत्तर- त्थि अंतरं । Jain Education International भावार्थ - १२१ प्रश्न - हे भगवन् ! निष्कम्पक परमाणु-पुद्गलों का अन्तर कितने काल का होता है ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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