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________________ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ पुद्गल सकम्प-निष्कम्प .. ३३२३ ११४ प्रश्न-णिरेया कालओ केवचिरं ? ११४ उत्तर-सव्वद्धं । एवं जाव अणंतपएसिया । भावार्थ-११४ प्रश्न-हे भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध कितने काल तक निष्कम्पक रहते हैं ? ११४ उत्तर-हे गौतम ! समस्त काल, यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध तक। ११५ प्रश्न-परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! सव्वेयस्स केवइयं कालं अंतरं होइ ? . ११५ उत्तर-गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं, उकोसेणं असंखेज्जं कालं, परट्ठाणंतरं पडुच जहण्णेणं एक समयं, उकोसेणं एवं चेव । भावार्थ-११५ प्रश्न-हे भगवन्! सर्व कम्पक परमाणु-पुद्गल का कितने काल का अन्तर होता है ? . ११५ उत्तर-हे गौतम ! स्वस्थान में जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल, तथा परस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल का अन्तर होता है । .११६ प्रश्न-णिरेयस्स केवइयं अंतरं होइ ? ११६ उत्तर-सट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजइभागं, परट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एक समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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