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________________ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ पुद्गल सकम्प-निष्कम्प ३३२१ १०७ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग तक। १०८ प्रश्न-सव्वेए कालओ केवचिरं होइ ? १०८ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं · समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजइभागं । भावार्थ-१०८ प्रश्न-हे भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध सर्व-कम्पक कितने काल तक रहता है ? ___ १०८ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका .' के असंख्यातवें भाग तक। १०९ प्रश्न-णिरेए कालओ केवचिरं होइ ? १०९ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेनं कालं । एवं जाव अणंतपएसिए । . भावार्थ-१०९ प्रश्न-हे भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध निष्कम्पक कितने काल तक रहता है ? १०९ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल तक निष्कम्पक रहता है । इसी प्रकार यावत् अनंत प्रदेशी स्कन्ध तक । ___ ११० प्रश्न-परमाणुपोग्गला णं भंते ! सव्वेया कालओ केवचिरं होंति ? ११० उत्तर-गोयमा ! सव्वद्धं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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