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________________ भगवती सूत्र-श. २५ उ ४ परमाण आदि का अल्प-बहत्व ३२८७ ४६ उत्तर-हे गौतम ! अनन्त प्रदेशो स्कन्धों से असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से बहुत हैं। ४७ प्रश्न-एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं दुपएसियाण य खंधाणं पएसट्टयाए कयरे कयरेहितो बहुया ? ४७ उत्तर-गोयमा ! परमाणुपोग्गलेहिंतो दुपएसिया खंधा पए. सट्टयाए बहुया । एवं एएणं गमएणं जाव णवपएसिएहिंतो खंधेहितो दसएसियाखंधा पएसट्टयाए बहुया, एवं सव्वत्थ पुच्छियव्वं । दसपएसिएहिंतो खंधेहितो संखेजपएसिया खंधा पएसट्टयाए बहु या । संखेजपएसिएहिंतो खंधेहितो असंखेजपएसिया खंधा पएसट्टयाए बहुया । भावार्थ-४७ प्रश्न-हे भगवन् ! परमाणु-पुद्गल और द्विप्रदेशी-स्कन्धों में प्रदेशार्थ से कौन-किससे बहुत हैं ? ४७ उत्तर-हे गौतम ! परमाणु-पुद्गलों से द्विप्रदेशी-स्कन्ध प्रदेशार्थ से बहुत हैं, यावत् नव प्रदेशी स्कन्धों से दस प्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से बहुत हैं , इसी प्रकार सर्वत्र प्रश्न करना चाहिये । दस प्रदेशी स्कन्धों से संख्यात प्रदेशी स्कंध प्रदेशार्थ से बहुत है। संख्यात प्रदेशो स्कंधों से असंख्यात प्रदेशी स्कंध प्रदेशार्थ से बहुत हैं। ४८ प्रश्न-एएसि णं भंते ! असंखेजपएसियाणं-पुच्छा। ४८ उत्तर-गोयमा ! अणंतपएसिएहिंतो खंधेहितो असंखेजपएसिया खंधा पएमट्टयाए बहुया । भावार्थ-४८ प्रश्न-हे भगवन् ! असंख्यात प्रदेशी स्कन्धों० ? .. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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