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________________ भगवती मूत्र-श. २५ उ. ४ परमाणु आदि का अल्प-बहुत्व ३२८१ वि वण्णगंधरसफासा णेयव्वा जाव 'अणंतगुणलुक्ख' त्ति । भावार्थ-४१ प्रश्न-हे भगवन् ! एक गुण काले पुद्गल संख्यात है. ? ४१ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् यावत् अनन्त गुण काले पुद्गल भी पूर्ववत्, शेष वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श भी, यावत् अनन्तगुण रूक्ष पर्यन्त । ४२ प्रश्न-एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं, दुपएसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा, विसेमाहिया वा ? ४२ उत्तर-गोयमा ! दुपएसिएहिंतो खंधेहिंतो परमाणुपोग्गला दवट्ठयाए बहुगा। भावार्थ-४२ प्रश्न-हे भगवन् ! परमाणु-पुद्गल और द्वि प्रदेशो स्कन्ध द्रव्यार्थ से कौन-किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक है ? __ ४२ उत्तर-हे गौतम ! द्वि प्रदेशो स्कन्धों से परमाण-पुद्गल द्रव्यार्थ से बहुत हैं। ४३ प्रश्न-एएसि णं भंते ! दुपएसियाणं तिप्पएसियाण य खंधाणं दवट्ठयाए कयरे कयरेहितो बहुया ? ४३ उत्तर-गोयमा ! तिपएसिएहिंतो खंधेहिंतो दुपएसिया खंधा दवट्टयाए बहुया, एवं एएणं गमएणं जाव दसपएसिएहिंतो खंधेहितो णवपएसिया खंधा दव्वट्टयाए बहुया । ___ भावार्थ-४३ प्रश्न-हे भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध से त्रिप्रदेशी स्कन्ध वध्यार्थ से कौन-किससे यावत् विशेषाधिक हैं ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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