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इस प्रकार की स्थिति में जिनका जीवन शिथिलाचार या दुराचार पूर्ण बन गया है और जो उस दूषित जीवन में ही संतुष्ट रहते हैं, उत्सूत्रभाषी एवं स्वच्छन्द बन चुके हैं, वे तो निग्रंथ के किसी भी भेद में नहीं आते, नहीं आ सकते । उन्हे पासत्यादि पांच प्रकार के कुशीलियों में से किसी में गिनना चाहिए ।
शंका-भगवती सूत्र कुशीलियों को भी 'निग्रंथ' मानता है, तब आप क्यों नहीं मानते ?
समाधान-कषाय-कुशील निग्रंथ और पासत्यादि कुशील में महान् अन्तर है । निग्रंथ तो केवल कषायोदय के कारण कुशील कहलाये, किन्तु ये तो चारित्र-हीन होते हैं । एक ही शब्द का अपेक्षा भेद से अर्थ भेद हो जाता है । भगवती सूत्र का कषाय-कुशील शुद्धाचारी महात्मा है । दीक्षित होने के समय से केवलज्ञान-केवलदर्शन प्राप्त होने के कुछ समय पूर्व तक (वर्षों तक) तीर्थंकर भगवंत भी कषाय-कुशील निग्रंथ रहते हैं । कषाय-कुशील के गुणस्थान ६ से १० पर्यंत पाँच गुणस्थान हैं । उन महात्माओं का चारित्राचार तो शुद्ध है, किन्तु दबते या नष्ट होते हुए कषाय के उदय के कारण पूर्ण विशुद्ध-यथाख्यात नहीं हो सके । पुलाक, बकुश और प्रतिसेवना से अच्छे, उत्तम एवं प्रशंसनीय होते हुए भी यथाख्यात से हीन कोटि के हैं। कषाय के कारण ही वे 'कुशील' माने गये हैं, आचरण या · पालन की अपेक्षा नहीं । परन्तु पासत्यादि कुशीलिये तो दुराचारी हैं (उत्तरा. १७-२०)
और प्रतिसेवना-कुशील निग्रंथ से भी अत्यंत हीन हैं। इन निग्रंथों की, उन पापश्रमण • कुशीलियों से बराबरी नहीं हो सकती। ये भगवती सूत्र श. १ उ. २ के विराधक की कोटि के हैं । यदि उनकी देवगति हो भी तो जघन्य भवनपति की हो।
उपरोक्त कारणों से स्पष्ट है कि बकुश और प्रतिसेवना कुशील निग्रंथों का संयमीजीवन शिथिलाचार वाला नहीं होता । किसी समय लगे हुए दोष की शुद्धि नहीं कर के आगे बढ़ने के कारण वे बकुश और कुशील कहलाते हैं। ..
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... निग्रंथ का गुणस्थान ग्यारहवां और बारहवां होता है । ग्यारहवें गुणस्थानी महात्मा 'उपशांत-मोह वीतराग' होते हैं और बारहवें गुणस्थानी 'क्षीण-मोह वीतराग ।' क्षीण-मोह वीतराग तो स्नातक बन कर मुक्ति प्राप्त कर लेते हैं, किन्तु उपशांत-मोह वीतराग, अपने गुणस्थान की स्थिति पूरी हाने पर गिरते हैं और पुनः कषाय-कुशील हो जाते हैं । यदि यहां भी नहीं सम्भले, तो संयमासंयमी या असंयमी तक हो सकते हैं । यदि उपशांत-मोह गुणस्थान में ही मृत्यु हो जाय, तो सर्वार्थ सिद्ध महाविमान में देव हो जाते हैं । एक समय
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