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________________ २२५४ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ३ घभियो । भ: नर परमाणु की गति आयया २ एगओवंका ३ दुहओवंका ४ एगओखहा ५ दुहओखहा ६ चक्कवाला ७ अद्धचक्कवाला । भावार्थ-५७ प्रश्न-हे भगवन् ! श्रेणियाँ कितनी कही गई है ? . ५७ उत्तर-हे गौतम! श्रेणियाँ सात कहीं हैं । यथा-ऋज्वायत, एकतोवक्रा, उभयतोवक्रा, एकतःखा, उभयतःखा, चक्रवाल और अर्द्धचक्रवाल । . ५८ प्रश्न-परमाणुपोग्गलाणं भंते ! किं अणुसेढिं गई पवत्तइ, विसेदि गई पवत्तइ ? ५८ उत्तर-गोयमा ! अणुसेटिं गई पवत्तइ, णो विसेटिं गई पवत्तइ । कठिन शब्दार्थ-अणु सेढि-अनुश्रेणी-आकाश-प्रदेशों की श्रेणी के अनुसार, विसेदि-विश्रेणी । भावार्थ-५८ प्रश्न-हे भगवन् ! 'परमाण-पुद्गल को गति अनुश्रेणी (आकाशप्रदेशों की श्रेणी के अनुसार) होती है या विश्रेणी (आकाश-प्रदेशों की श्रेणी के विपरीत) होती है ? __ ५८ उत्तर-हे गौतम ! परमाणु-पुद्गल की गति अनुश्रेणी होती है, विश्रेणी नहीं होती। ५९ प्रश्न-दुपएसियाणं भंते ! खंधाणं अणुसेढिं गई पवत्तइ, विसेटिं गई पवत्तइ ? ५९ उत्तर-एवं चेव, एवं जाव अणंतपएसियाणं खंधाणं । भावार्थ-५९ प्रश्न-हे भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध की गति अनुश्रेणी होती है Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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