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________________ २७१० भगवती सूत्र-श. १८ उ. ६ परमाणु और स्कन्ध में वर्णादि खट्टी है, खांड (शवकर) मधुर है, वज्र कर्कश (कठोर) है, नवनीत (मवखन) मृदु (कोमल) है, लोह भारी है, उलुकपत्र (उल्लू की पाँख) हल्का है, हिम (बर्फ) ठण्डा है, अग्निकाय उष्ण है और तेल स्निग्ध (चिकना) है । किन्तु नैश्चयिकनय से इन सब में पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस और आठ स्पर्श हैं। ४ प्रश्न-हे भगवन् ! राख कितने वर्ण वाली है, इत्यादि प्रश्न ? ४ उत्तर-हे गौतम ! व्यावहारिक नय से राख रूक्ष स्पर्श वाली है और नैश्चयिक नय से राख पांच वर्ण, दो गन्ध, पाँच रस और आठ स्पर्श वाली है। विवेचन-व्यावहरिकनय लोक-व्यवहार का अनुसरण करता है। इसलिये जिस वस्तु का लोक-प्रसिद्ध जो वर्णादि होता है, वह उसी को मानता है। शेष वर्णादि की वह उपेक्षा करता है । नैश्चयिक नय वस्तु में जितने वर्णादि है उन सब को मानता है । परमाणु आदि में सब वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श विद्यमान है, इसलिये नैश्चयिक नय सब को मानता हैं । परमाणु और स्कन्ध में वर्णादि ५ प्रश्न-परमाणुपोग्गले णं भंते ! कइवण्णे जाव कइफासे पण्णत्ते ? ५ उत्तर-गोयमो ! एगवण्णे, एगगंधे, एगरसे, दुफासे पण्णत्ते । ६ प्रश्न-दुपएसिए णं भंते ! खधे कइवण्णे-पुच्छ । ६ उत्तर-गोयमा ! सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते । एवं तिपएसिए वि, णवरं सिय एगवण्णे सिय दुवण्णे, सिय तिवण्णे । एवं रसेसु वि, सेसं जहा दुपएसियस्स। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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