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भगवती सूत्र-श. १८ उ. ६ निश्चय-व्यवहार से गुड़ आदि का वर्ण
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अंबा अंविलिया, महुरे खण्डे, कक्खडे वहरे, मउए णवणीए, गरूए अए, लहुए उलुयपत्ते, सीए हिमे, उसिणे अगणिकाए, णिधे तेल्ले ।
४ प्रश्न-चरिया णं भंते !-पुच्छा ।
४ उत्तर-गोयमा ! एत्थ दो णया भवंति, तं जहा-णिच्छइयणए य वावहारियणए य, वावहारियणयस्स लुक्खा छारिया, णेच्छइयणयस्स पंचवण्णा० जाव अट्ठफासा पण्णत्ता ।
___ कठिन शब्दार्थ-फाणियगुले-गीला गुड़, णिच्छइयणए-निश्चय नय, वावहारियणएव्यावहारिक नय, सुयपिच्छे-तोते की पांख, छारिया-राख । ..
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! फाणित (गीला) गुड़ कितने वर्ण, कितने गन्ध, कितने रस और कितने स्पर्श वाला कहा गया है ?
१ उत्तर-हे गौतम ! इस संबंध में नय (अपेक्षा) दो है । यथा-नैश्च. यिक नय और व्यावहारिक नय । व्यावहारिक नय की अपेक्षा फाणित-गड़ मधुर रस वाला कहा गया है और नैश्चयिक नय की अपेक्षा पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस और आठ स्पर्श वाला कहा गया है। . २ प्रश्न-हे भगवन् ! भ्रमर कितने वर्ण वाला है, इत्यादि प्रश्न ?
२ उत्तर-हे गौतम ! व्यावहारिकनय से भ्रमर काला है और नैश्चयिक नय से भ्रमर पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस और आठ स्पर्श वाला है।
- ३ प्रश्न-हे भगवन् ! तोते के पंख कितने वर्ण वाले हैं, इत्यादि प्रश्न ?
.. ३ उत्तर-हे गौतम ! व्यावहारिक नय से तोते के पंख हरे हैं और नैश्चयिक नय से पांच वर्ण वाले इत्यादि पूर्वोक्त रूप से जानना चाहिये । इस प्रकार इस अभिलाप द्वारा मजीठ लाल है, हल्दी पोली है, शंख श्वेत है, कुष्ठ (पटवास-कपड़े में सुगन्ध देने की पती) सुगन्धित है, मुर्दा (मृतक शरीर) दुर्गन्धित है, नीम (निम्ब) तिक्त (कड़वा) है, झूठ कटुय (तीखा) है, कविठ कर्षला है, इमली
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