________________
२७०४
भगवती सूत्र-श. १८ उ. ५ किस आयु का वेदन करते हैं ?
-
किस आयु का वेदन करते है ?
५ प्रश्न-णेरइए णं भंते ! अणंतरं उब्वट्टित्ता जे भविए पंचिं. दियतिरिक्खजोणिएसु उववजित्तए से णं भंते ! कयरं आउयं पडिसंवेदेइ ?
५ उत्तर-गोयमा ! णेरइयोउयं पडिसंवेदेइ, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाउए से पुरओ कडे चिट्टइ, एवं मणुस्सेसु वि, णवरं मणुस्साउए.से पुरओ कडे चिट्ठइ।
६ प्रश्न-असुरकुमारा णं भंते ! अणंतरं उबट्टित्ता जे भविए पुढविकाइएसु उववजित्तए-पुच्छा।
६ उत्तर-असुरकुमाराउयं पडिसंवेदेइ, पुढविकाइयाउए से पुरओ कडे चिंटइ, एवं जो जहिं भविओ उववजित्तए तस्स तं पुरओ कडं चिट्ठइ, जत्थ ठिओ तं पडिसंवेदेइ जाव वेमाणिए, णवरं पुढविकाइए पुढविकाइएसु उववजइ, पुढविकाइयाउयं पडिसंवेदेइ, अण्णे य से पुढविकाइयाउए पुरओ कडे चिटुइ, एवं जाव मणुस्सो सट्टाणे उववाएयव्यो, परहाणे तहेव ।
भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! जो नैरयिक मर कर अन्तर रहित पंचेन्द्रिय तिर्यच-योनिक में उत्पन्न होने के योग्य है, वह किस आयुष्य का अनुभव करता है ?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org