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________________ भगवती सूत्र-श. १८ उ. ३ द्रव्य और भाव-बन्ध के भेद २६८७ १३ उत्तर-हे माकन्दिक पुत्र ! दो प्रकार का कहा गया है । यथामूल प्रकृतिबन्ध और उत्तर प्रकृतिबन्ध । १४ प्रश्न-हे भगवन् ! नरयिक जीवों के कितने प्रकार का भाव-बन्ध कहा गया है ? १४ उत्तर-हे माकन्दिक पुत्र ! दो प्रकार का भाव-बन्ध कहा गया है । यथा मूल प्रकृतिबन्ध और उत्तर प्रकृतिबंध । इसी प्रकार यावत् वैमानिक तक जानना चाहिये। १५ प्रश्न-णाणावरणिजस्स णं भंते ! कम्मरस कइविहे भावबंधे पण्णते ? १५ उत्तर-मागंदियपुत्ता ! दुविहे भाव बंधे पण्णत्ते, तं जहामूलपगडिबंधे य उत्तरपगडिबंधे य । . १६ प्रश्न-णेरइयाणं भंते ! णाणावरणिजस्स कम्मस्स कहविहे भावबंधे पण्णत्ते ? १६ उत्तर-मागंदियपुत्ता ! दुविहे भावबंधे पण्णत्ते, तं जहामूलपगडिबंधे य उत्तरपगडि०, एवं जाव नेमाणियाणं, जहा णाणावरणिज्जेणं दंडओ भणिओ एवं जाब अंतराइएणं भाणियब्यो । भावार्थ-१५ प्रश्न-हे भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म का भाव-बन्ध कितने प्रकार का कहा गया है ? १५ उत्तर-हे माकन्दिक पुत्र ! दो प्रकार का कहा गया है । यथामूल प्रकृति बन्ध और उत्तर प्रकृतिबन्ध । १६ प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक जीवों के ज्ञानावरणीय कर्म का माव Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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