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भगवती सूत्र-श. २४
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मानिक देवों का उपपात
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भावार्थ-२३ प्रश्न-हे भगवन् ! सर्वार्थसिद्ध का देव कहाँ से आ कर उत्पन्न होता है। ___ २३ उत्तर-हे गौतम ! उपपात विजयादि के समान । यावत्
२४ प्रश्न-से णं भंते ! केवइयकालट्टिईएसु उववज्जेजा ?
२४ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमट्टिईएसु, उक्कोसेण वि तेत्तीसं सागरोवमट्टिईएसु उववजंति, अवसेसा जहा विजयाईसु उववज्जंताणं । णवरं भवादेसेणं तिण्णि भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं वासपहुत्तेहिं अमहियाई, उक्कोसेण वि तेत्तीसं सागरोवमाई दोहिं पुवकोडीहिं अमहियाइंएवइयं० १ ।
भावार्थ-२४ प्रश्न-हे भगवन् ! संजो मनुष्य, सर्वार्थसिद्ध देव में उत्पन्न हो, तो कितने काल की स्थिति में उत्पन्न होता है ?
.. २४ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य और उत्कृष्ट तेतीस सागरोपम की स्थिति वाले सर्वार्थसिद्ध देव में उत्पन्न होता है। शेष वक्तव्यता विजयादि में उत्पन्न होने वाले मनुष्य के समान है। भवादेश से तीन भव तथा कालादेश से जघन्य दो वर्ष-पृथक्त्व अधिक तेतीस सागरोपम तक यावत् गमनागमन करता है ।
२५-सो चेव अप्पणा जहण्णकालट्टिईओ जाओ एस चेव वत्तव्वया । णवरं ओगाहणाठिईओ रयणिपुहुत्त-वासपुहुत्ताणि, सेसं तहेव, संवेहं च जाणेजा २।
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