SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 557
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३१८६ भगवती सूत्र-श २४ उ. २४ वैमानिक देवों का उपपात १५ प्रश्न-सणंकुमारदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ? १५ उत्तर-उववाओ जहा सकरप्पभापुढविणेरइयाणं । जावभावार्थ-१५ प्रश्न-हे भगवन् ! सनत्कुमार देव कहाँ से आ कर उत्पन्न होते हैं ? १५ उत्तर-हे गौतम ! उपपात शर्कराप्रभा के नैरयिक के समान है। यावत् १६ प्रश्न-पज्जत्तसंखेजवासाउयसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए सणंकुमारदेवेसु उववजित्तए० ? १६ उत्तर-अवसेसा परिमाणादीया भवादेसपज्जवसाणा सच्चेव वत्तव्वया भाणियव्वा जहा सोहम्मे उववजमाणस्स । णवरं सणंकुमारद्विइं संवेहं च जाणेजा । जाहे य अप्पणा जहण्णकालट्टिईओ भवइ ताहे तिसु वि गमएसु पंच लेस्साओ आदिल्लाओ कायवाओ, सेसं तं चेव ९। भावार्थ-१६ प्रश्न-हे भगवन् ! संख्यात वर्ष की आय वाला पर्याप्त संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तियंच, सनत्कुमार देव में उत्पन्न हो, तो कितने काल की स्थिति वाले सनत्कुमार देव में उत्पन्न होता है ? १६ उत्तर-परिमाण से ले कर भवादेश तक की सभी वक्तव्यता, सौधर्मकल्प में उत्पन्न होने वाले संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी तिथंच के समान जाननी चाहिये, परन्तु सनत्कुमार को स्थिति और संवेध उससे भिन्न जानना चाहिये । जब वह जघन्य स्थिति वाला होता है, तब तीनों ही गमक में प्रथम को पांच लेश्याएं होती हैं । शेष पूर्ववत् १ से ९ । १७ प्रश्न-जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जंति ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy