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भगवती सूत्र-श. २४ उ. २३ ज्योतिपी देवों का उपपात
औधिक गमक के समान । परन्तु स्थिति और अनुबन्ध जघन्य और उत्कृष्ट तीन पल्योपम, शेष पूर्ववत् । इस प्रकार अन्तिम तीन गमक जानने चाहिये । स्थिति और संवेध भिन्न है । ये सात गमक हुए ७।
९ प्रश्न-जइ संखेजवासाउयसण्णिपंचिंदिय० ?
९ उत्तर-संखेजवासाउयाणं जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणाणं तहेव णव वि गमा भाणियव्वा । णवरं जोइसियठिइं संवेहं च जाणेजा, सेसं तहेव गिरवसेसं भाणियव्वं ९ ।
भावार्थ-९ प्रश्न-यदि वह संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिथंच से आ कर उत्पन्न हो, तो ?
९ उत्तर-असुरकुमार में उत्पन्न होने वाले संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञो पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच के समान नौ गमक जानना चाहिये । स्थिति और संवेध उनसे भिन्न है । शेष पूर्ववत् १ से ९।
१० प्रश्न-जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जति ? १० उत्तर-भेदो तहेव । जावभावार्थ-१० प्रश्न-यदि वे मनुष्य से आ कर उत्पन्न होते हैं, तो ? १० उत्तर-पूर्वोक्त संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच के समान ।
११ प्रश्न-असंखेजवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए जोइसिएसु उववजित्तए से णं भंते !० ?
११ उत्तर-एवं जहा असंखेन्जवासाउयसण्णिपंचिंदियस्स जोइ.
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