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________________ ३१५८ भगवती सूत्र-१. २४ उ. २१ मनुष्य की विविध योनियों से उत्पत्ति १० उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं वासपहुट्टिईएसु, उकोसेणं पुवकोडीठिईएसु०। भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! आणत देव, मनुष्य में उत्पन्न हो, तो कितने काल की स्थिति वाले मनुष्य में उत्पन्न होता है। - १० उत्तर-हे गौतम ! जघन्य वर्ष-पृथक्त्व और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की स्थिति वाले मनुष्य में उत्पन्न होता है । ११ प्रश्न-ते णं भंते ! ११ उत्तर-एवं जहेव सहस्सारदेवाणं वत्तव्वया । णवरं ओगा. हणा-ठिई-अणुबंधे य जाणेजा, सेसं तं चेव। भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं छ भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं अट्ठारस सागरोवमाइं वास हुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं सत्तावण्णं सागरोवमाइं तिहिं पुवकोडिहिं अमहियाइं-एवइयं कालं० । एवं णव वि गमा, णवरं ठिई अणुबंध संवेहं च जाणेजा, एवं जाव अच्चुयदेवो, णवरं ठिई अणुबंधं संवेहं च जाणेजा। पाणयदेवस्स ठिई तिगुणिया सहिँ सागरोवमाई, आरणगस्स तेवढ़ि सागरोवमाई, अच्चुयदेवस्स छावहिँ सागरोवमाइं । भावार्थ-११ प्रश्न-हे भगवन् ! वे मनुष्य एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? ११ उत्तर-सहस्रार देव की वक्तव्यता के अनुसार। अवगाहना, स्थिति और अनबन्ध की विशेषता जाननी चाहिये, शेष पूर्ववत् । भवादेश से जघन्य दो भव और उत्कृष्ट छह भव तथा कालादेश से जघन्य वर्ष-पृथक्त्व अधिक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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