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भगवती सूत्र-श. २४ उ. २० पंचेन्द्रिय तियंचों की उत्पत्ति
४९ प्रश्न-जइ वाणमंतरेहितो० किं पिसाय० ? ४९ उत्तर-तहेव । जाव
भावार्थ-४९ प्रश्न-यदि वह पंचेंद्रिय तियंच, वाणव्यन्तर से आ कर उत्पन्न होता है, तो क्या पिशाच वाणव्यन्तर से आ कर उत्पन्न होता है, इत्यादि ?
४९ उत्तर-पूर्ववत् । ५० प्रश्न-वाणमंतरे णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्ख ०? ५० उत्तर-एवं चेव, गवरं ठिई संवेहं च जाणेजा ९ ।
भावार्थ-५० प्रश्न-हे भगवन् ! वाणव्यन्तर देव, पंचेंद्रियतिथंच में उत्पन्न हो, तो वह कितने काल की स्थिति वाले पंचेंद्रिय तियंच में उत्पन्न होता है ?
५. उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् । स्थिति और संवेध उससे भिन्न जानना चाहिये।
५१ प्रश्न-जइ जोइसिय० ? ५१ उत्तर-उववाओ तहेव, जाव
भावार्थ-५१ प्रश्न-यदि वह पंचेंद्रिय तिर्यंच, ज्योतिषी देव से आ कर उत्पन्न हो ?
५१ उत्तर-उपपात पूर्ववत् (पृथ्वीकायिक में उत्पन्न होने वाले पंचेंद्रिय तियंच के अनुसार) ।
५२ प्रश्न-जोइसिए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्ख० ? ५२ उत्तर-एस चेव वत्तव्वया । जहा पुढविक्काइयउद्देसए
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