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________________ ३१४४ भगवती सूत्र-श. २४ उ. २० पंचेन्द्रिय तिर्यचों की उत्पत्ति वाला मनुष्य, उत्कृष्ट स्थिति वाले पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच में उत्पन्न नहीं होता। संज्ञी मनुष्य के मध्य के तीन गमक के परिमाण में उत्कृष्ट संख्यात उत्पन्न होते हैं । क्योंकि संज्ञी मनुष्य संख्यात ही हैं, इसलिये वे उत्कृष्ट रूप से भी संख्यात ही उत्पन्न होते हैं। ४५ प्रश्न-जइ देवेहितो उववज्जति किं भवणवासिदेवेहितो उववज्जति, वाणमंतर०, जोइसिय०, वेमाणियदेवेहितो० ? ४५ उत्तर-गोयमा ! भवणवासिदेवेहितो वि० जाव वेमाणिय. देवेहितो वि०। भावार्थ-४५ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वह पञ्चेन्द्रिय तिर्यच, देव से आ कर उत्पन्न होता है, तो भवनपति देव से, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी, या वैमानिक देव से आ कर उत्पन्न होता है ? ___ ४५ उत्तर-हे गौतम ! वह भवनपति देव यावत् वैमानिक देव से आ कर उत्पन्न होता है। .४६ प्रश्न-जइ भवणवासि० किं असुरकुमारभवण० जाव थणियकुमारभवण० ? ४६ उत्तर-गोयमा ! असुरकुमार० जाव थणियकुमारभवण । ___ भावार्थ-४६ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वह भवनपति देव से आ कर उत्पन्न होता है, तो असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार भवनपति देव से आ कर उत्पन्न होता है ? ___ ४६ उत्तर-हे गौतम ! वह असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार भवनपति देव से आ कर उत्पन्न होता है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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