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भगवती सूत्र-श. २४ उ. २० पंचेन्द्रिय तिर्यचों की उत्पत्ति
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के तीन गमक के अनुसार ।
३५ प्रश्न-जइ सण्णिमणुस्सेहितो० किं संखेजवासाउयसष्णिमणुस्सेहितो०, असंखेजवासाउयसण्णिमणुस्सेहिंतो ?
३५ उत्तर-गोयमा ! संखेजवासाउय०, णो असंखेजवासाउय०।
भावार्थ-३५ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि पंचेन्द्रिय तियंच, संज्ञो मनुष्य से आ कर उत्पन्न होता है, तो क्या संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले मनुष्य से आता है, या असंख्यात वर्ष की आयुष्य वाले मनुष्य से आ कर उत्पन्न होता है ?
३५ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले संज्ञो मनुष्य से आ कर उत्पन्न होता है, असंख्यात वर्ष की आयुष्य के संज्ञो मनुष्य से नहीं ।
३६ प्रश्न-जह संखेजवासाउय० किं पजत्त०, अपजत्त ?
३६ उत्तर-गोयमा ! पजत्तसंखेजवासाउय०, अपजत्तसंखेन्जवासाउयः।
भावार्थ-३६ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि पंचेन्द्रिय तियंच, संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले मनुष्य से आ कर उत्पन्न होता है, तो क्या पर्याप्त मनुष्य से आ कर उत्पन्न होता है या अपर्याप्त मनुष्य से ?
३६ उत्तर-हे गौतम ! पर्याप्त और अपर्याप्त दोनों प्रकार के मनुष्य से आ कर उत्पन्न होता है ।
३७ प्रश्न-सण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जिचए से णं भंते ! केवह-० १ .
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