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________________ शतक २४ उद्देशक १३ अपकायिक जीवों की उत्पत्ति १ प्रश्न - आउकाइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ? १ उत्तर - एवं जव पुढविकाइय उद्देस जावप्रश्न - पुढ विकाइए णं भंते ! जे भविए आउकाइएसु उववज्जि तर से णं भंते ! केवइ० ? उत्तर- गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्त०, उक्कोसेणं सत्तवाससहसडिएस उववज्जेज्जा एवं पुढविकाइय उद्देसगसरिसो भाणियव्वो । णवरं टिडं संवेहं च जाणेज्जा. सेसं तहेव । * 'सेवं भंते सवं भंते !' त्ति ॥ चवीसहमे सए तेरसमो उद्देसो समत्तो ॥ भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! अप्कायिक जीव कहाँ से आते हैं, इत्यादि ? १ उत्तर- सभी वक्तव्यता पृथ्वीकायिक उद्देशक के अनुसार जाननी चाहिये, यावत् प्रश्न - हे भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव, जो अप्कायिक में उत्पन्न हो, तो कितने काल की स्थिति वाले अपकायिक में होता है ? उत्तर - हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट सात हजार वर्ष की Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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