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________________ भगवती सूत्र-ग. २४ उ. २ अमुरकुमारों का उपपात ३०५१ भावार्थ-१९ प्रश्न-हे भगवन ! यदि वे संज्ञो मनष्यों से आते हैं, तो क्या संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले संज्ञो मनुष्यों से आते हैं या असंख्यात वर्ष की आयुष्य वाले संज्ञो मनुष्यों से आते हैं ? १९ उत्तर-हे गौतम ! वे संख्यात वर्ष और असंख्यात वर्ष की आयुष्य ' वाले दोनों से आते हैं। : २० प्रश्न-असंखेजवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइकालट्ठिईएसु उववजेज्जा ? २० उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सट्टिईएसु, उक्कोसेणं तिपलिओवमट्टिईएसु उववजेज्जा । एवं असंखेज्जवासाउयतिरिक्खजोणियसरिसा आदिल्ला तिणि गमगाणेयव्वा । णवरं सरीरोगाहणा पढमबिइएसु गमएसु जहण्णेणं साइरेगाइं पंचधणुसयाई, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई, सेसं तं चेव । तईयगमे ओगाहणा जहण्णेणं तिण्णि गाउयाइं उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाई, सेसं जहेव तिरिक्खजोणियाणं.३। भावार्थ-२० प्रश्न-हे भगवन् ! असंख्यात वर्ष की आयष्य वाले संज्ञी मनुष्य जो असुरकुमारों में उत्पन्न होने के योग्य हैं, वे कितने काल की स्थिति वाले असुरकुमारों में उत्पन्न होते हैं ? २० उत्तर-हे गौतम ! वे जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की स्थिति वाले असुरकुमारों में उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार असंख्यात वर्ष की आयुष्य वाले तिर्यंच-योनिक जीवों के समान प्रथम के तीन गमकों के वर्णनवत् जानना चाहिये । पहले और दूसरे गमक में शरीर की Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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