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________________ ३०१० भगवती सूत्र-श. २४ उ १ संज्ञो तिर्यच का नरकोपपात उत्पन्न हो, तो कितने काल की स्थिति में उत्पन्न होता है ? . ६६ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य और उत्कृष्ट दस हजार वर्ष की स्थिति के नैरयिकों में उत्पन्न होता है । यहां सम्पूर्ण चौथे गमक के समान, यावत् काल से जघन्य अन्तर्मुहूतं अधिक दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट चार अन्तर्मुहूर्त अधिक चालीस हजार वर्ष तक यावत् गमनागमन करता है । ५ । ६७ प्रश्न-सो चेव उक्कोसकालटिईएसु उववण्णो जहण्णेणं सागरोवमट्टिईएसु उववज्जेजा, उक्कोसेण वि सागरोवमट्टिईएसु उववज्जेजा। ते णं भंते ? . ६७ उत्तर-एवं सो चेव चउत्थो गमओ गिरवसेसो भाणियव्वो जाव कालादेसेणं जहण्णेणं सागरोवम अंतोमुहुत्तमभहियं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाई, एवइयं जाव करेजा ६। ___ भावार्थ-६७ प्रश्न-हे भगवन् ! जघन्य स्थिति वाला यावत् संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तियंच, रत्नप्रभा में उत्कृष्ट स्थिति वाले नैरयिकों में उत्पन्न हो, तो कितनी स्थिति में उत्पन्न होता है ? । ६७ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य और उत्कृष्ट एक सागरोपम की स्थिति वाले नैरयिकों में उत्पन्न होता है । यहां चौथे गमक के समान यावत् काल से जघन्य अन्तर्मुहूर्त अधिक सागरोपम और उत्कृष्ट चार अन्तर्मुहूर्त अधिक चार सागरोपम तक यावत् गमनागमन करता है । ६ । ६८ प्रश्न-उक्कोसकालट्ठिईयपज्जत्तसंखेज्जवासाउय० जाव Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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