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भगवती सूत्र - श. २२ वर्ग १ उ. १ १० ताल-तमालादि की उत्पत्ति २९६१
( कोरा ) पृथक्त्व को अवगाहना भी प्रथमादि आरों की अपेक्षा से ही संभव है । वैसे ही फल और बीज की भी उत्कृष्ट अवगाहना प्रथमादि आरा की अपेक्षा समझनी चाहिए तथा फल और वाज की अंगुल पृथक्त्व अवगाहन दोनों की अवगाहना एकांत समान भी नहीं समझनी चाहिए | क्योंकि दो अंगुल को भी अंगुल पृथक्त्व कहते हैं और अनेक अंगुलों को भी अंगुल पृथक्त्व कहते हैं। जैसे कि वकुश और प्रतिसेवना कुशील को संख्या कोटिशत पृथवत्व होते हुए भी दोनों की संख्या समान नहीं है । वकुश से प्रतिसेवना कुशील संख्यात गुणा है वैसे ही फल और वीज की उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल पृथक्त्व होते हुए भी बीज से फल की अवगाहना बड़ी हो सकती है, जो नारियल आदि में बिना मतभेद के स्वीकार की ही जाती है । इतनी स्पष्टता होते हुए भी यदि वोज की अंगुल पृथक्त्व अवगाहना का आग्रह रखा जायेगा तो आज उपलब्ध नारियल, खजूर आदि होने वाली सभी वनस्पतियों को आगम निर्दिष्ट वनस्पतियों से भिन्न मानना पड़ेगा। ( क्योंकि आज उपलब्ध होने वाली किसी भी वनस्पति के स्कंधादि की अवगाहना गव्यूति पृथक्त्व नहीं है ।) जिससे उनको भी सचित्त ( बीज वाला) मानने में बाधा पड़ेगी। इसलिए आगम निर्दिष्ट उत्कृष्ट अवगाहना प्रथमादि आरों की अपेक्षा ताल वर्ग के किसी भेद की समझनी चाहिए, सभी की नहीं । दूसरी बात यदि उपलब्ध केले के वृक्ष को ताल वर्ग में नहीं माना जायगा तो उसे किसमें माना जायगा ? उसमें लक्षण तो तालवर्ग ( वलय) के ही पाये जाते हैं । इसलिए दूसरी वनस्पति में उसका ग्रहण संभव नहीं होने से उसे तालवर्ग में ही ग्रहण करना होगा । इसी प्रकार छठा वल्ली वर्ग हैं, उसमें दाख की बेल का भी ग्रहण है । वहां पर * फल की उत्कृष्ट अवगाहना जो धनुष पृथक्त्व बताई गई है वह भी तरबूज, खरबूज, ककड़ी आदि की अपेक्षा समझनी चाहिए, दाख की अपेक्षा नहीं, क्योंकि वल्ली वर्ग में बड़ी अवगाहना वाले फल तरबूज आदि ही हैं। इनमें भी बीज हैं एवं बीज का अवगाहना ( उत्कृष्ट अंगुल पृथक्त्व ) ताल वर्ग के समान समझनी चाहिए ।
नारियल ( सुखा ), मुनक्का आदि के बीज नहीं उगते हुए भी इनमें बीज होने मे इन्हें सचित्त समझा जाता है । वैसे ही केले * और छोटी दाख (किशमिश ) में भी बीज होते हैं, इसलिए इन्हें भी सचित्त समझना चाहिए ।
|| बाईसवें शतक का पहला वर्ग सम्पूर्ण ||
* टिप्पण - सन् १९३३ विक्रम संवत् १९९० में अजमेर (राजस्थान) में अखिल भारतवर्षीय
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