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भगवती सूत्र-श. २० उ. १० पटक-समजित नो-पटक-समजित
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१७ प्रश्न-हे भगवन् ! अनेक षटक-सजित और अनेक षट्क तथा नो-षट्क-समजित पृथ्वीकायिकों में कौन किससे यावत् विशेषाधिक हैं ?
१७ उत्तर-हे गौतम ! अनेक षट्क-समजित पृथ्वीकायिक सब से कम हैं । अनेक षट्क और नो-षट्क-समजित पृथ्वीकायिक उनसे संख्यात गुण है । इस प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक तक । बेइन्द्रिय से ले कर वैमानिक तक का कथन नैरयिकों की भांति जानना चाहिए।
१८ प्रश्न-एएसिणं भंते ! सिद्धाणं छक्कसमज्जियाणं णोड़कसमज्जियाणं जाव छक्केहि य णोछक्केण य समज्जियाण य कयरे कयरे जाव विसेसाहिया वा ?
१८ उत्तर-गोयमा ! सम्वत्थोवा सिद्धा छक्केहि य णोछक्केण य समज्जिया, छक्केहि समज्जिया संखेज्जगुणा, छक्केण य णो. छक्केण य समजिया संखेजगुणा, छक्कसमजिया संखेजगुणा, णोछक्कसमजिया संखेजगुणा ।
भावार्थ-१८ प्रश्न-हे भगवन् ! षटक-समजित नो-षटक-समजित यावत् अनेक षटक और नो-षट्क-समजित सिद्धों में कौन किससे यावत् विशेषाधिक हैं ?
१८ उत्तर-हे गौतम ! अनेक षटक और नो-षट्क-समजित सिद्ध सब से कम है । उनसे अनेक षट्क-समजित सिद्ध संख्यात गुण हैं। उनसे एक षट्क और नो-षटक-समजित सिद्ध संख्यात गुण हैं । उनसे षटक-समजित सिद्ध संख्यात गुण हैं और उनसे नो-षट्क-समजित सिद्ध संख्यात गुण हैं।
विवेचन-जो एक साथ, एक समय में छह उत्पन्न हुए हों, उन्हें 'षट्क-सजित' कहते हैं । जो एक साथ, एक समय में एक, दो, तीन, चार या पांच उत्पन्न हुए हों, वे
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