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________________ २९३० भगवती मूत्र-श. २० उ. १० षट्क-समजित नो-षट्क-समजित णोछक्कसमजियाणं, छक्केण य णोछक्केण य समजियाणं, छक्केहि य समजियाणं, छक्केहि य णोछक्केण य समजियाणं कयरे कयरे जाव विसेसाहिया वा ? १६ उत्तर-गोयमा ! सव्वत्थोवा णेरइया छक्कसमज्जिया, णोछक्कसमज्जिया संखेज्जगुणा, छक्केण य णोछक्केण य समजिया संखेजगुणा, छक्केहि य समजिया असंखेज्जगुणा, छक्केहि य णोछक्केण य समज्जिया संखेज्जगुणा । एवं जाव थणियकुमारा । __ १७ प्रश्न-एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं छक्केहिं समज्जियाणं, छक्केहि य णोछक्केण य समज्जियाणं कयरे कयरे जाव विसेसाहिया वा ? १७ उत्तर-गोयमा ! सव्वत्थोवा पुढविकाइया छक्केहिं समजिया, छक्केहि य णोछक्केण य समजिया संखेजगुणा । एवं जाव वण्णस्सइकाइयाणं । वेइंदियाणं जाव वेमाणियाणं जहा णेरइयाणं । भावार्थ-१६ प्रश्न-हे भगवन् ! १-षट्क-समजित, २-नो-षट्क-समजित ३-एक षट्क और नो-षटक-समजित, ४-अनेक षट्क-समजित, ५-अनेक षट्क और नो-षट्क-सजित नरयिकों में कौन किससे यावत् विशेषाधिक है ? १६ उत्तर-हे गौतम ! १-एक षटक-समजित नैरयिक सब से कम है। २-नो-षटक-समजित नैरयिक उनसे संख्यात गुण हैं । ३-एक षट्क और नोषटक-समजित नैरयिक उनसे संख्यात गुण हैं। ४-अनेक षट्क-समजित नैरयिक उनसे असंख्यात गुण हैं। ५-अनेक षट्क और नो-पटक समजित नैरयिक उनसे संख्यात गुण है । इस प्रकार यावत् स्तनितकुमार तक । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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