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________________ भगवती सूत्र - श. २० उ. ८ तीर्थ और तीर्थंकर चाउवण्णाइणे समणसंघे, तं जहा - समणा, समणीओ, सावया, सावियाओ । १४ प्रश्न - पवयणं भंते ! पवयणं, पावयणी पवयणं ? १४ उत्तर - गोयमा ! अरहा ताव णियमं पावयणी, पवयणं पुण दुवालसँगे गणिपिडगे, तं जहा - आयारो जाव दिट्टिवाओ । १५ प्रश्न - जे इमे भंते ! उग्गा, भोगा, राइण्णा, इक्खागा, णाया, कोरव्वा एए णं अस्सि धम्मे ओगाहंति, अस्सिं० २ ओगाहित्ता अडविहं कम्मरयमलं पवाहेंति, अटु २ पवाहित्ता तओ पच्छा सिज्झति जाव अंत करेंति ? १५ उत्तर - हंता गोयमा ! जे इमे उग्गा भोगा तं चैव जाव अंतं करेंति, अत्थेगइया अण्णयरेसु देवलोपसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति । १६ प्रश्न – कइ विहा णं भंते ! देवलोया पण्णत्ता ? १६ उत्तर - गोयमा ! चउव्विहा देवलोया पण्णत्ता, तं जहाभवणवासी, वाणमंतरा, जोइसिया, वेमाणिया । * 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' त्ति ॥ वीस मे सए अट्टमो उद्देसो समत्तो ॥ Jain Education International २९०९ को तीर्थ कहते हैं ? कठिन शब्दार्थ - इक्खाणा- इक्ष्वाकु कुलोत्पन्न । भावार्थ - १३ प्रश्न - हे भगवन् ! 'तीर्थ' को तीर्थ कहते हैं, या तीर्थंकर For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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