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________________ भगवती सूत्र-श. २० उ. ६ अाहार ग्रहण उत्पत्ति के पूर्व या पश्चात् २८६३ ले कर यावत् अधःसप्तम पृथ्वी तक पृथ्वीकायिक जीवों का उपपात जानना चाहिये। विवेचन-जो जीव गेंद के समान समुद्घात कर के मरता है, वह पहले उत्पन्न होता है और पीछे आहार करता है अर्थात् उत्पत्ति स्थान में उत्पन्न हो कर शरीर प्रायोग्य पुद्गलों को ग्रहण करता है । जो जीव ईलिका गति रूप समुद्घात कर के उत्पन्न होता है, वह पहले आहार करता है अर्थात् उत्पत्ति क्षेत्र में पहुंचे हुए प्रदेशों के द्वारा आहार ग्रहण करता है और इसके बाद पूर्व-शरीर में रहे हुए प्रदेशों को उत्पत्ति क्षेत्र में खींचता है । ६ प्रश्न-आउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए सवकरप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए मोहम्मे कप्पे आउकाइयत्ताए उववजित्तए । ____६ उत्तर-सेसं जहा पुढविक्काइयस्स जाव से तेणटेणं० । एवं पढम-दोचाणं अंतरा समोहए जाव ईसीपभाराए उववाएयवो, एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जाव ईसीपभाराए उववाएयब्बो आउक्काइयत्ताए। ७ प्रश्न-आउयाए णं भंते ! सोहम्मी-साणाणं सर्णकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहि घणोदहिवलएसु आउक्काइयत्ताए उववजित्तए ? ७ उत्तर-सेसं तं चेव, एवं एएहिं चेव अंतरा समोहओ जाव अहेसत्तमाए पुढवीए घणोदहि घणोदहिवलएसु आउपकाइयत्ताए उव. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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