SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 229
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८५८ भगवती सूत्र - य. २० उ ५ परमाणु और स्कंध के वर्णादि वाला होता है, तो सुरभिगन्ध और दुरभिगन्ध । इसके चार भंग होते हैं । इस प्रकार गन्ध सम्बन्धी छह भंग होते हैं । जिस प्रकार वर्ण के ९० भंग कहे गये हैं, उसी प्रकार रस के ९० भंग कहने चाहिये । जइ दुफासे जहेव परमाणुपोग्गले ४ । जह तिफासे सव्वे सीए देसे णिदधे देसे लक्खे १, सव्वे सीए देसे णिधे देसा लुक्खा २, सव्वे सीए देसा दिा देसे लक्खे ३, सव्वे सीए देसा गिद्धा देसा लक्खा ४, सव्वे उसिने देसे णिदुधे देसे लक्खे । एवं भंगा ४, सव्वे दिघे देसे सीए देउसिणे ४, सव्वे लुक्खे देसे सीप देसे उसि ४ । एए तिफा से सोलस भंगा । भावार्थ- जब वह दो स्पर्श वाला होता है, तो उसके परमाणु पुदगल के समान चार भंग होते हैं। जब वह तीन स्पर्श वाला होता है, तो सर्व शीत और एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है। अथवा सर्व शीत, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष होते हैं । अथवा सर्व शीत, अनेक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है । अथवा सर्व शीत, अनेक देश स्निन्ध और अनेक देश रूक्ष होते हैं । अथवा सर्व उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष के चार भंग । अथवा सर्व स्निग्ध, एक देश शीत, एक देश उष्ण के चार भंग होते हैं । अथवा सर्व रूक्ष, एक देश शीत और एक देश उष्ण के चार भंग । इस प्रकार सब मिल कर तीन स्पर्श के सोलह भंग होते हैं । जइ चउफा से देसे सीए देसे उसने देसे णिदधे देसे लक्खे १ देसे सीए देसे उसिणे देसे णिधे देसा लुक्खा २, देसे सीए देसे उसि देसा णिद्धा देसे लुक्खे ३, देसे सिए देसे उसने देसा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy