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गई है ?
१८ उत्तर - हे गौतम! संज्ञा-निर्वृत्ति चार प्रकार की कही गई है । यथा - आहारसंज्ञा-निर्वृत्ति यावत् परिग्रहसंज्ञा-निर्वृत्ति । इस प्रकार यावत् वैमानिक पर्यन्त ।
भगवती सूत्र - श. १९ उ. ८ जीव- निर्वृत्ति आदि
भावार्थ - १८ प्रश्न - हे भगवन् ! संज्ञा-निर्वृत्ति कितने प्रकार की कही
१९ प्रश्न - इविहाणं भंते ! लेस्साणिव्वत्ती पण्णत्ता ? १९ उत्तर - गोयमा ! छव्विहा लेस्साणिव्वती पण्णत्ता, तं जहाकण्हलेस्साणिव्वत्ती जाव सुकलेस्साणिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइ लेस्साओ ।
भावार्थ - १९ प्रश्न - हे भगवन् ! लेश्या- निर्वृत्ति कितने प्रकार की कही
गई है ?
१९ उत्तर - हे गौतम ! लेश्या - निर्वृत्ति छह प्रकार की कही गई है । यथा - कृष्णलेश्या - निर्वृत्ति यावत् शुक्ललेश्या - निर्वृत्ति । इस प्रकार यावत् वेमानिक तक जिसके जितनी लेश्या हो, उतनी लेश्या - निर्वृत्ति कहनी चाहिये ।
२० प्रश्न - कविहा णं भंते! दिट्टीणिव्वत्ती पण्णत्ता ?
२० उत्तर - गोयमा ! तिविहा दिट्टीणिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहासम्मादिट्ठीणिव्वत्ती, मिच्छदिट्टिणिव्वत्ती सम्मामिच्छदिट्टीनिवत्ती । एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइविहा दिट्ठी ।
भावार्थ - २० प्रश्न - हे भगवन् ! दृष्टि-निर्वृत्ति कितने प्रकार की कही
गई है ?
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