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भगवती सूत्र-श. १९ उ. ४ नैरयिक के महास्रवादि चतुष्क
१४ उत्तर - णो
णट्टे समट्टे ।
१५ प्रश्न - सिय भंते ! णेरड्या अप्पासवा अप्पकिरिया अप्प
वेणा महाणिज्जरा ?
१५ उत्तर - णो इण समट्टे ।
१६ प्रश्न - सिय भंते ! णेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्प - वेणा अप्पणिजरा ?
१६ उत्तर - णो इट्टे समट्ठे । एए सोलस भंगा ।
भावार्थ - १३ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पास्रव, अल्पक्रिया, महावेदना और महानिर्जरा वाले हैं ?
१३ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है ।
१४ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पास्रव, अल्पक्रिया, महावेदना और अल्पनिर्जरा वाले हैं ?
१४ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है ।
१५ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पास्रव, अल्पक्रिया, अल्पवेदना और महानिर्जरा वाले हैं ?
१५ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है ।
१६ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पास्रव, अल्पक्रिया, अल्पवेदना और अल्पनिर्जरा वाले हैं ?
१६ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । ये सोलह भंग हैं ।
विवेचन — जीवों के शुभाशुभ परिणामों के अनुसार आस्रव, क्रिया, बेदना और निर्जरा, ये चार बातें होती हैं । परिणामों की तीव्रता के कारण ये चार बातें 'महान् ' और परिणामों की मन्दता के कारण 'अल्प' रूप में परिणत होती हैं। किन जीवों में किसकी 'महत्ता' और किसकी 'अल्पता' पाई जाती है - यह बताने के लिए 'आस्रव, क्रिया,
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