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________________ २७९८ भगवती सूत्र-श. १९ उ. ४ नैरयिक के महास्रवादि चतुष्क १४ उत्तर - णो णट्टे समट्टे । १५ प्रश्न - सिय भंते ! णेरड्या अप्पासवा अप्पकिरिया अप्प वेणा महाणिज्जरा ? १५ उत्तर - णो इण समट्टे । १६ प्रश्न - सिय भंते ! णेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्प - वेणा अप्पणिजरा ? १६ उत्तर - णो इट्टे समट्ठे । एए सोलस भंगा । भावार्थ - १३ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पास्रव, अल्पक्रिया, महावेदना और महानिर्जरा वाले हैं ? १३ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । १४ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पास्रव, अल्पक्रिया, महावेदना और अल्पनिर्जरा वाले हैं ? १४ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । १५ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पास्रव, अल्पक्रिया, अल्पवेदना और महानिर्जरा वाले हैं ? १५ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । १६ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पास्रव, अल्पक्रिया, अल्पवेदना और अल्पनिर्जरा वाले हैं ? १६ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । ये सोलह भंग हैं । विवेचन — जीवों के शुभाशुभ परिणामों के अनुसार आस्रव, क्रिया, बेदना और निर्जरा, ये चार बातें होती हैं । परिणामों की तीव्रता के कारण ये चार बातें 'महान् ' और परिणामों की मन्दता के कारण 'अल्प' रूप में परिणत होती हैं। किन जीवों में किसकी 'महत्ता' और किसकी 'अल्पता' पाई जाती है - यह बताने के लिए 'आस्रव, क्रिया, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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