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________________ - भगवती मूत्र-श. १५ उ. ४ नेरयिक के महाववादि चतुष्क २७९७ ११ उत्तर-णो इणटे समटे । १२ प्रश्न-सिय भंते ! गेरइया अप्पासवा महाकिरिया अप्पवेयणा अप्पणिज्जरा ? १२ उत्तर-णो इणढे समढे। भावार्थ-९ प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पाश्रव, महाक्रिया, महावेदना और महानिर्जरा वाले हैं ? ९ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। १० प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पास्रव, महाक्रिया, महावेदना और अल्पनिर्जरा वाले हैं ? १० उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है ? ११ प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पास्रव, महाक्रिया, अल्पवेदना महानिर्जरा वाले हैं ? ११ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। १२ प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक जीव अल्पास्त्रव, महाक्रिया, अल्पवेदना भौर अल्पनिर्जरा वाले हैं ? १२ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। २३ प्रश्न-सिय भंते ! णेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया महा. वेयणा महाणिजरा ? २३ उत्तर-णो इण? समटे । १४ प्रश्न-सिय भंते ! णेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया महा. वेयणा अप्पणिजरा ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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