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२७८४ भगवती मूत्र-ग. १९ उ. ३ स्थावर जीवों की अवगाहमा का अल्पाबहुत्व
अवगाहना विशेषाधिक है । २३-उससे पर्याप्त सूक्ष्म अप्कायिक को उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । २४-उससे पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुण है। २५-उससे अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक को उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । २६- उससे पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। २७-उससे पर्याप्त बादर वायुकायिक को जघन्य अवगाहना असंख्यात गुण है । २८-उससे अपर्याप्त बादर वायुकायिक को उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । २९-उससे पर्याप्त बादर वायुकायिक को उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । ३०-उससे पर्याप्त बादर अग्निकायिक को जघन्य अवगाहना असंख्यात गुण है। ३१-उससे अपर्याप्त बादर अग्निकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। ३२-उससे पर्याप्त बादर अग्निकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। ३३-उससे पर्याप्त बावर अपकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुण है । ३४-उससे अपर्याप्त बादर अप्कायिक को उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । ३५-उससे पर्याप्त बादर अप्कायिक को उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। ३६-उससे पर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक को जघन्य अवगाहना असंख्यात गुण है । ३७-उससे अपर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक को उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । ३८-उससे पर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । ३९-उससे पर्याप्त बादर निगोद की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुण है । ४०-उससे अपर्याप्त बादर निगोद की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। ४१-उससे पर्याप्त बाबर निगोद को उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। ४२-उससे पर्याप्त प्रत्येक शरीरी बादर वनस्पतिकाय की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुण है । ४३--उससे अपर्याप्त प्रत्येक शरीरी बादर वनस्पतिकाय को उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यात गुण है । ४४-उससे पर्याप्त प्रत्येक शरीरी बादर वनस्पतिकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यात गुण है ।
विवेचन-पृथ्वीकाय, अपकाय, तेउकाय, वायुकाय और निगोद, इनके सूक्ष्म और बादर भेद करने से दस भेद होते हैं । लोक बनस्पति को मिलाने से ग्यारह भेद होते हैं ।
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