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________________ भगवती सूत्र - १९ उ. ३ स्थावर जीवों की अवगाहना का अल्पाबहुत्व २७८३ भावार्थ-२० प्रश्न - हे भगवन् ! सूक्ष्म, बादर, पर्याप्त, अपर्याप्त, पृथ्वीकाय, अकाय, ते काय, वायुकाय और वनस्पतिकाय जीवों को जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहना, किसकी अवगाहना से किसकी अवगाहना अल्प, बहुत्व, तुल्य और विशेषाधिक है ? ६ - उससे अपर्याप्त बादर । ७-उससे अपर्याप्त बादर ८ - उससे अपर्याप्त बादर ९ - उससे अपर्याप्त बादर २० उत्तर - हे गौतम ! १ अपर्याप्त सूक्ष्म निगोद की जघन्य अवगाहना सबसे अल्प है । २ - उससे अपर्याप्त सूक्ष्म वायुकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्य गुण है । ३ - उससे अपर्याप्त सूक्ष्म अग्निकायिक की जधन्य अवगाहना असंख्य गुण है । ४- उससे अपर्याप्त सूक्ष्म अपकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्य गुण है । ५ - उससे अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्य गुण है । वायुकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्य गुण अग्निकायिक को जघन्य अवगाहना असंख्य गुण है । अप्कायिक को जघन्य अवगाहना असंख्य गुण है । पृथ्वीकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्य गुण है । १० से ११ - उससे अपर्याप्त प्रत्येक शरीरी बादर वनस्पतिकायिक की और बादर निगोद की जघन्य अवगाहना असंख्य गुण और परस्पर तुल्य है । १२ - उससे पर्याप्त सूक्ष्म निगोद की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुण है । १३ - उससे अपर्याप्त सूक्ष्म निगोद की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । १४ - उससे पर्याप्त सूक्ष्म निगोद की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । १५ - उससे पर्याप्त सूक्ष्म वायुकाय की जघन्य अवगाह्ना असंख्यात गुण है । १६-उससे अपर्याप्त सूक्ष्म वायुकाय की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । १७ - उससे पर्याप्त सूक्ष्म वायुकाय की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । १८ - उससे पर्याप्त सूक्ष्म अग्निकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुण है । १९ - उससे अपर्याप्त सूक्ष्म अग्निकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । २०-उससे पर्याप्त सूक्ष्म अग्निकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है । २१ - उससे पर्याप्त सूक्ष्म अपकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुण है । २२ - उससे अपर्याप्त सूक्ष्म अप्कायिक की उत्कृष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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