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________________ २७५२ भगवती सूत्र - श. १० उ. १० मशक वायु से स्पृष्ट है ? अणतपएसिएणं घेणं सिय फुडे, सिय णो फुडे । भावार्थ - २ प्रश्न - हे भगवन् ! परमाणु - पुद्गल, वायुकाय से स्पृष्ट ( व्याप्त) है, या वायुकाय परमाणु-पुद्गल द्वारा स्पृष्ट है ? २ उत्तर - हे गौतम ! परमाणु- पुद्गल वायुकाय से स्पृष्ट है, किन्तु वायुकाय परमाणु- पुद्गल से स्पृष्ट नहीं है । ३ प्रश्न - हे भगवन् ! द्विप्रदेशी-स्कन्ध वायुकाय से स्पृष्ट है, या वायुकाय द्विप्रदेशी स्कन्ध से स्पष्ट है ? ३ उत्तर - हे गौतम! पूर्ववत् । इसी प्रकार यावत् असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध तक जानना चाहिये । ४ प्रश्न - हे भगवन् ! अनन्त प्रदेशी स्कन्ध वायुकाय से स्पष्ट है, इत्यादि प्रश्न ? ४ उत्तर - हे गौतम ! अनन्त प्रदेशी स्कन्ध वायुकाय से स्पृष्ट है, किन्तु वायुकाय, अनन्त प्रदेशी स्कन्ध से कदाचित् स्पृष्ट होता है और कदाचित् स्पृष्ट नहीं होता । विवेचन - वायु महान् ( बड़ी ) है और परमाणु- पुद्गल प्रदेश रहित है । इसलिये परमाणु में वायु क्षिप्त ( व्याप्त) नहीं होती, क्योंकि वह उसमें नहीं समा सकती । अनन्त प्रदेशी स्कन्ध वायु से व्याप्त होता है, क्योंकि वह वायु की अपेक्षा सूक्ष्म है । जब वायुस्कन्ध की अपेक्षा अनन्तप्रदेशी स्कन्ध महान् होता है, तब वायु अनन्त प्रदेशी स्कन्ध से व्याप्त होती है, अन्यथा नहीं । इसलिये ऐसा कहा गया कि अनन्त प्रदेशी स्कन्ध वायु से व्याप्त होता है और वायु अनन्त प्रदेशी स्कन्ध से कदाचित् व्याप्त होती है और कदाचित नहीं होती । Jain Education International मशक वायु से है ? स्पृष्ट ५ प्रश्न - वत्थी भंते! वाउयाएणं फुडे, वाउयाए वत्थिणा फुडे ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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