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________________ साधु के पाँव से कुर्कुटादि मरे तो ? १ प्रश्न - रायगिहे जाव एवं वयासी - अणगारस्स णं भंते ! भावियपणो पुरओ दुहओ जुगमायाए पेहाए रीयं रीयमाणस्स पायस्स अहे कुक्कुडपोते वा वट्टापोते वा कुलिंगच्छाए वा परियाबज्जेज्जा, तस्स णं भंते । किं ईरियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ ? १ उत्तर - गोयमा ! अणगारस्स णं भावियप्पणो जाव तस्स णं ईरियावहिया किरिया कज्जइ णो संपराइया किरिया कज्जइ । शतक १५ उद्देशक प्रश्न - से केणट्ठेनं भंते! एवं वुच्चइ - जहा सत्तमसए संबुडुद्देसए जाव अट्टो णिक्खित्तो | 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' जाव विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे बहिया जाव विहरड़ । कठिन शब्दार्थ - पेहाए - देखते हुए, जुगमायाए - युग प्रमाण - यूपप्रमाण, रीयं रीयमाणस्स - गमन करते-चलते, कुक्कुडपोयए-मुर्गी का बच्चा, वट्टापोयए- बतख नामक पक्षी का बच्चा, कुलिंगच्छाए - चींटी जैसा सूक्ष्म जीव पायस्स अहे - पाँव के नीचे, परियावज्जेज्जा - मर जाय । भावार्थ - १ प्रश्न - राजगृह नगर में गौतम स्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा -- Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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