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________________ भगवती मूत्र -श. ५३ उ. ४ दिशाओं का उद्गम और विस्तार २१८५ दिशाओं का उद्गम और विस्तार १० प्रश्न-इंदा णं भंते ! दिमा किमाइया किंपवहा कइपए. साइया कइपएसुत्तरा कइपएसिया किंपजवसिया किंसंठिया पण्णत्ता ? ___१० उत्तर-गोयमा ! इंदा णं दिसा १ रुयगाइया २ रुयगप्पवहा ३ दुपएमाझ्या ४ दुपएसुत्तरा ५ लोगं पडुच्च असंखेजपए. सिया, अलोगं पडुच अणंतपएसिया. ६ लोगं पडुच्च साइया सपज्जवसिया, अलोगं पडुच्च साइया अपजवसिया, ७ लोगं पडुच्च मुरजमंठिया, अलोगं पडुच्च सगडुद्धिसंठिया पण्णत्ता । ११ प्रश्न-अग्गेई णं भंते ! दिसा १ किमाइया २ किंपवहा ३ कइपएसाइया ४ कइपएमविच्छिण्णा ५ कइपएसिया ६ किंपजवसिया ७ किंसंठिया पण्णत्ता। ११ उत्तर-गोयमा ! अग्गेई णं दिसा १ रुयगाइया २ रुयगप्पवहा, ३ एगपएसाइया ४ एगपएसविच्छिण्णा ५ अणुत्तरा लोगं पडुच असंखेजपएसिया, अलोगं पडुच्च अणंतपएसिया ६. लोगं पडुच्च साइया सपजवसिया, अलोगं पडुच्च साइया अआजवसिया, छिण्णमुत्तावलीसंठिया पण्णत्ता । जमा जहा इंदा, णेरई जहा अग्गेई । एवं जहा इंदा तहा दिसाओ चत्तारि, जहा अग्गेई तहा चत्तारि वि विदिसाओ। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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