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________________ भगवती सूत्र - १७ उ. १३ नागकुमारादि के आहार की सम-विषमता ३ उत्तर - हे गौतम! सब से थोड़े एकेन्द्रिय जीव तेजोलेश्या वाले हैं । उनसे कापोतलेश्या वाले अनन्त गुण हैं, कापोतलेश्या वालों से नोललेश्या वाले विशेषाधिक हैं और उनसे कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं । ४ प्रश्न - हे भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् तेजोलेश्या वाले एकेन्द्रियों में अल्प ऋद्धि वाला कौन है और महाऋद्धि वाला कौन है ? ४ उत्तर - हे गौतम ! सोलहवें शतक के ग्यारहवें उद्देशक में द्वीपकुमारों में लेश्या की ऋद्धि कही गई है, तदनुसार एकेन्द्रियों में भी जानना चाहिए । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है-यों कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं । || सत्रहवें शतक का बारहवाँ उद्देशक सम्पूर्ण || २६४२ शतक १७ उद्देशक १३ नागकुमारादि के आहार की सम-विषमता १ प्रश्न - नागकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा० ? १ उत्तर - जहा सोलसमसर दीवकुमारुद्देसे तहेव णिरवसेसं भाणियव्वं जाव इड्ढीति । ।। सत्तरसमे सए तेरसमो उद्देसो समत्तो ॥ भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! सभी नागकुमार समान आहार वाले हैं, इत्यादि प्रश्न ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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