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भगवती सूत्र-स. १७ उ. १ पुरुष और ताल वृक्ष को क्रिया
भाविक रूप से उपकार होते हैं, उन जीवों को भी कायिकी आदि पांच क्रियाएँ लगती हैं।
७ प्रश्न-हे भगवन् ! कोई पुरुष वृक्ष के मूल को हिलावें या नीचे गिरावे, तो उस पुरुष को कितनी क्रियाएँ लगती है ?
७ उत्तर-हे गौतम ! वक्ष के मल को हिलाने वाले या नीचे गिराने वाले पुरुष को कायिकी आदि पांच क्रियाएँ लगती हैं और जिन जीवों के शरीर से मूल यावत् बीज निष्पन्न हुए हैं, उन जीवों को भी कायिकी आदि पांच क्रियाएँ लगती हैं।
८ प्रश्न-अहे णं भंते ! से मूले अप्पणो मरुययाए जाव जीवियाओ ववरोवेइ तओ णं भंते ! से पुरिमे कइकिरिए ? .
८ उत्तर-गोयमा ! जावं च णं से मूले अप्पणो जाव ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढे; जेसिं पि य णं जीवाणं सरीरेहिंतो कंदे णिव्वत्तिए जाव वीए णिव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव चरहिं पुट्टा; जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो मूले णिव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा; जे वि य णं से जीवा अहे वीससाए पञ्चोवय. माणस्स उवग्गहे वटुंति ते वि णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा।
९ प्रश्न-पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स कंदं पचालेइ० ? । ९ उत्तर-गोयमा ! तावं च णं से पुरिसे जाव पंचहिं किरि
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