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शतक १७.
णमो सुयदेवयाए भगवईए
कुंजर संजय सेलेसि किरिय ईसाण पुढवि दग वाऊ । एगिदिय णाग सुवण्ण विज्जु वायुऽग्गि सत्तरसे ॥
भावार्थ-१ कुंजर अर्थात् कोणिक राजा के हाथी के विषय में पहला उद्देशक, २ संयतादि के विषय में दूसरा, ३ शैलेशी अवस्था को प्राप्त अनगार विषयक तीसरा, ४ क्रिया विषयक चौथा, ५ ईशानेन्द्र की सुधर्मा सभा के विषय में पांचवां, ६-७ पृथ्वीकाय के विषय में छठा और सातवां, ८-९ अप्काय के विषय में आठवां और नौवाँ, १०-११ वायुकाय के विषय में दसवां और ग्यारहवां, १२ एकेन्द्रिय जीवों के विषय में बारहवां, १३-१७ नागकुमार, सुवर्णकुमार, विद्युत्कुमार और अग्निकुमार देवों के विषय मे क्रमशः तेरह से ले कर सतरह उद्देशक हैं । इस प्रकार सतरहवें शतक में सतरह उद्देशक कहे गये हैं।
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