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भगवती सूत्र-श. १५ विमलवाहन का अनार्यपन
विमलवाहन का अनार्यपन
४२-तएणं से विमलवाहणे राया अण्णया कयाइ समणेहिं णिग्गंथेहिं मिच्छ विप्पडिवजिहिइ, अप्पेगइए आउसे हिइ, अप्पेगइए अवहसिहिइ, अप्पेगइए णिच्छोडेहिइ अप्पेगड़ए णिभत्थेहिइ, अप्पेगइए बंधेहिइ, अप्पेगइए णिरुंभेहिइ, अप्पेगइयाणं छविच्छेयं करेहिइ, अप्पेगइए पमारेहिइ, अप्पेगइयाणं उद्दवेहिइ, अप्पेगइयाणं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं आच्छिदिहिह, विच्छिदिहिइ, भिंदिहिह,
अवहरिहिइ, अप्पेगइयाणं भत्तपाणं वोच्छिंदिहिइ, अप्पेगइए णिण्णयरे करेहिइ, अप्पेगइए णिव्विसए करेहिइ ।
___ कठिन शब्दार्थ-विप्पडिज्जिहिड्-विपरीताचरण करेगा, आउसे हिइ-आक्रोश वचन कहेगा, अवहसि हिइ-हँसी करेगा, णिच्छोडेहिइ-पृथक् करेगा, णिमत्थेहिइ-दुर्वचन बोलेगा, णिरुंभेहिइ-रोकेगा, उद्दवेहिइ-उपद्रव करेगा, अवहरिहिइ-उछाल देगा, णिण्णयरे-नगर के बाहर निकालेगा।
४२ भावार्थ-किसी समय विमल वाहन राजा, श्रमण-निर्ग्रन्थों के साथ मिथ्या अर्थात् अनार्यपन का आचरण करेगा। कई श्रमण-निर्ग्रन्थों को आक्रोश करेगा, किन्ही की हंसी करेगा, कइयों को एक दूसरे से पृथक् करेगा, कइयों की भर्त्सना करेगा, कुछ श्रमणों को बांधेगा, कुछ को रोकेगा, कुछ के अवयव का छेदन करेगा, कुछ को मारेगा, कइयों को उपद्रव करेगा । किन्ही के वस्त्र, पात्र कम्बल और पादपोंछन को तोड़-फोड़ और नष्ट करेगा, अपहरण करेगा, बहुतों के आहार-पानी का विच्छेद करेगा और कई श्रमणों को नगर और देश से बाहर निकाल देगा।
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