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भगवती सूत्र-ग १४ उ. ; द्रव्यादि की तुल्यता
भावस्म भावओ तुल्ले, उदइए भावे उदइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावओ णो तुल्ले, एवं उपसमिए खड़ए खओवसमिए पारिणा. मिए, सण्णिवाइए भावे मण्णिवाइयस्स भावम्स, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-'भावतुल्लए भावतुल्लए ।
कठिन शब्दार्थ-कक्खडे-कर्कग । भावार्थ-८ प्रश्न-हे भगवन् ! भावतुल्य, 'भावतुल्य' क्यों कहलाता है ?
८ उत्तर-हे गौतम ! एक गुण काला वर्ण वाला पुद्गल, अन्य एक गुण काला वर्ण वाले पुद्गल के साथ भाव से तुल्य है । परन्तु एक गुण काला वर्ण के सिवाय दूसरे पुद्गलों के साथ एक गुण काला वर्ण वाला पुद्गल, भाव से तुल्य नहीं है । इसी प्रकार यावत् दस गुण काला पुद्गल, तुल्य संख्यात गुण काला पुद्गल, इसी प्रकार तुल्य असंख्यात गुण काला पुद्गल और इसी प्रकार तुल्य अनन्त गुण काला पुद्गल भी कहना चाहिये । जिस प्रकार काला वर्ण कहा, उसी प्रकार नीला, लाल, पीला और श्वेत वर्ण के विषय में भी कहना चाहिये। इसी प्रकार सुरभिगन्ध और दुरभि-गन्ध, इसी प्रकार तिक्त यावत् मधुर रस और इसी प्रकार कर्कश यावत् रूक्ष पुद्गल तक कहना चाहिये । औदयिक भाव, औरयिक भाव के साथ तुल्य है, परन्तु औदयिक भाव के सिवाय दूसरे भावों के साथ तुल्य नहीं है । इसी प्रकार औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक तथा पारिणामिक भाव के विषय में भी कहना चाहिये । सान्निपातिक भाव, सान्निपातिक भाव के साथ तुल्य है । इस कारण हे गौतम ! भाव तुल्य, 'भाव तुल्य' कहलाता है।
९ प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'संठाणतुल्लए' संठाणतुल्लए ? ___ ९ उत्तर-गोयमा ! परिमंडले संठाणे परिमंडलस्स संठाणरस
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