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भगवती मूत्र-7 १४
द्रव्यादि की नल्यता
भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! क्षेत्र तुल्य, क्षेत्र तुल्य' क्यों कहलाता है ?
५ उत्तर-हे गौतम ! एक प्रदेशावगाढ़ पुद्गल (आकाश के एक प्रदेश पर रहा हुआ पुद्गल) दूसरे एक प्रदेशावगाढ़ पुद्गल के साथ क्षेत्र से तुल्य कहलाता है । परन्तु एक प्रदेशावगाढ़ व्यतिरिक्त पुद्गल के साथ, एक प्रदेशावगाढ़ पुद्गल क्षेत्र से तुल्य नहीं है । इसी प्रकार यावत् दस प्रदेशावगाढ़ पुद्गल का भी कहना चाहिये । तथा एक तुल्य संख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल, अन्य तुल्य संख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल के साथ तुल्य होता है । इसी प्रकार तुल्य असंख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल के विषय में भी कहना चाहिये । इस कारण हे गौतम ! क्षेत्र तुल्य, 'क्षेत्र तुल्य' कहलाता है ।
प्रश्न-मे केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-कालतुल्लएकालतुल्लए ? ६ उत्तर-गोयमा ! एगसमयठिईए पोग्गले एगसमयटिईयस्स य पोग्गलस्म कालओ तुल्ले, एगसमयटिईए पोग्गले एगसमयठिईयवइरित्तस्म पोग्गलम्म कालओ णो तुल्ले, एवं जाव दससमयठिईए, तुल्लसंखेनसमयठिईए एवं चेव, एवं तुल्लअमं वेज समयटिईए वि, से तेणट्टेणं जाव 'कालतुल्लए कालतुल्लए ।
भावार्थ-६ प्रश्न-हे भगवन् ! काल तुल्य, 'काल तुल्य' क्यों कहलाता है ?
६ उत्तर-हे गौतम ! एक समय की स्थिति वाला पुद्गल, अन्य एक समय की स्थिति वाले पुद्गल के साथ काल से तुल्य है, किन्तु एक समय की स्थिति वाले पुद्गल के अतिरिक्त दूसरे पुद्गलों के साथ, एक समय की स्थिति वाला पुद्गल काल से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार यावत् तुल्य दस समय की स्थिति वाला पुद्गल, तुल्य संख्यात समय की स्थिति वाला पुद्गल और इसी प्रकार तुल्य असंख्यात समय की स्थिति वाला पुद्गल के विषय में भी कहना चाहिये । इस
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