SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 213
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ܘܐܐ ܕ भगवती सूत्र - १३ द्रव्यादि की तुल्यता कठिन शब्दार्थ-तुल्लए (मान)। भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! तुल्य कितने प्रकार के कहे गये हैं ? ३ उत्तर - हे गौतम! तुल्य छह प्रकार के कहे गये हैं। यथा-१ द्रव्य तुल्य २ क्षेत्र तुल्य ३ काल तुल्य ४ भव तुल्य ५ भाव तुल्य और ६ संस्थान तुल्य । ४ प्रश्न - हे भगवन् ! द्रव्य तुल्य, 'द्रव्य तुल्य' क्यों कहलाता है ? ४ उत्तर - हे गौतम! एक परमाणु-पुद्गल, दूसरे परमाणु- पुद्गल के साथ द्रव्य से तुल्य है, किन्तु परमाणु- पुद्गल से व्यतिरिक्त (भिन्न ) दूसरे पदार्थों के साथ परमाणु- पुद्गल द्रव्य से तुल्य नहीं है । इसी प्रकार एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध, दूसरे द्विप्रदेशिक स्कन्ध के साथ द्रव्य से तुल्य है, किन्तु द्विप्रदेशिक स्कन्ध से व्यतिरिक्त दूसरे स्कन्ध के साथ द्विप्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य से तुल्य नहीं है । इसी प्रकार यावत् दस प्रदेशिक स्कन्ध तक कहना चाहिये । एक तुल्य संख्यात प्रदेशिक स्कन्ध, दूसरे तुल्य संख्यात प्रदेशिक स्कन्ध के साथ तुल्य है, परन्तु तुल्य संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध व्यतिरिक्त दूसरे स्कन्ध के साथ तुल्य संख्यात प्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य से तुल्य नहीं है । इसी प्रकार तुल्य असंख्यात प्रदेशिक स्कन्ध और तुल्य अनन्त प्रदेशिक स्कन्ध के विषय में भी जानना चाहिये। इस कारण से है गौतम ! द्रव्य तुल्य कहलाता है । Jain Education International - ५ प्रश्न - से केणणं भंते! एवं बुचड़ - 'खेत्ततुल्लए' खेत्ततुल्लए? ५ उत्तर - गोयमा ! एगपए सोगाडे पोग्गले एगपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तओ तुल्ले, एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसो गाढव - रित्तस्स पोग्गलस्म खेत्तओ णो तुल्ले, एवं जाव दसपएसोगाढे, तुल्लसंखेजपए सोगाढे तुल्लसंखेज ०, एवं तुल्लअसंखेज्जपएसो गाढे वि से तेणणं जाव 'खेत्ततुल्लए' खेत्ततुल्लए । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy