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भगवती सूत्र-शः १४ उ. ५ जीवों का अग्नि प्रवेटा
४ प्रश्न-पंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! अगणिकायपुच्छा।
४ उत्तर-गोयमा ! अत्थेगइए वीइवएजा, अत्थेगइए णो वीइ. वएजा।
प्रश्न-से केणटेणं० ?
उत्तर-गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-विग्गहगइममावण्णगा य अविग्गहगइसमावण्णगा य । विग्गहगइसमावण्णए जहेव णेरइए, जाव णो खलु तत्थ सत्थं कमइ' । अविग्गहगइसमावण्णगा पंचिंदियतिरिकग्वजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-इटिप्पत्ता य अणिढिप्पत्ता य। तत्थ णं जे से इढिप्पत्ते पंचिंदियतिरिक्खजोणिया से णं अत्थेगइए अगणिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएजा, अत्थेगइए णो वीइवएजा।
प्रश्न-जे णं वीइवएजा से णं तत्थ झियाएजा ?
उत्तर-णो इणढे समटे, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ । तत्थ णं जे से अणिढिप्पत्ते पंचिंदियतिरिक्खजोणिए से णं अत्थेगइए अगणि. कायस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएन्जा अत्थेगइए णो वीइवएज्जा ।
प्रश्न-जे णं वीइवएजा से णं तत्य झियाएजा ?
उत्तर-हंता झियाएजा, से तेणटेणं जाव ‘णो वीइवएज्जा' एवं मगुस्से वि । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिए जहा असुरकुमारे ।
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