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________________ भगवती भूत्र-स. १३ उ. ९ अनगार की वैक्रिय-गवित दोनों पैरों को घोड़े की तरह एक साथ उठाता हुआ गमन करता है, उसी प्रकार भावितात्मा अनगार भी ऐसे रूपों की विकुर्वणा करके आकाश में उड़ सकता है ? ८ उत्तर-हाँ, गौतम ! उड़ सकता है। शेष सभी पूर्ववत् जानना चाहिये। ९ प्रश्न-हे भगवन् ! जैसे कोई हंस, एक तीर से दूसरे तीर पर क्रीडा करता हुआ जाता है, उसी प्रकार क्या भावितात्मा अनगार भी हंस के समान विकुर्वणा करके आकाश में उड़ सकता है ? ९ उत्तर-हाँ, गौतम ! उड़ सकता है। शेष सभी पूर्ववत् जानना चाहिये। १० प्रश्न-हे भगवन् ! जैसे कोई समुद्रवायस (समुद्र का कौआ) एक कल्लोल का उल्लंघन करता हुआ दूसरी कल्लोल (तरंग-लहर) पर जाता है, उसी प्रकार क्या भावितात्मा अनगार भी विकुर्वणा करके आकाश में गमन कर सकता है ? १० उत्तर-हाँ, गौतम ! पूर्ववत् जानना चाहिये । ११ प्रश्न-मे जहाणामए केइ पुरिसे चक्कं गहाय गच्छेजा,. एवामेव अणगारे वि भावियप्पा चक्ककिचहत्थगएणं अप्पाणेणं० ? ११ उत्तर-सेसं जहा केयाघडियाए; एवं छत्तं, एवं चमरं । १२ प्रश्न-से जहाणामए केइ पुरिसे रयणं गहाय गच्छेजा, एवं चेव, एवं वइरं, वेरुलियं जाव रिटें, एवं उप्पलहत्थगं, पउम. हत्थगं, कुमुयहत्थगं; एवं जाव से जहाणामए केइ पुरिसे सहस्सपत्तगं गहाय गच्छेजा.? . १२ उत्तर-एवं चेव । १३ प्रश्न-से जहाणामए केइ पुरिमे भिमं अवदालिय अव Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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