________________
भगवती सूत्र - १३.३. ९ अनगार की वैक्रिय-शक्ति
१ उत्तर - हाँ, गौतम ! उड़ सकता है ।
२ प्रश्न - हे भगवन् ! भावितात्मा अनगार, रस्सी से बांधी हुई घटिका हाथ में धारण करने रूप कितने रूपों की विकुर्वणा कर सकता है ?
२ उत्तर - हे गौतम ! तीसरे शतक के पाँचवें उद्देशक में कहे अनुसार युवति युवा के हस्तग्रहण के दृष्टान्तानुसार सभी कहना चाहिये । यह उनकी शक्ति मात्र है, सम्प्राप्ति ( सम्पादन ) द्वारा कभी इतने रूप विकुर्वे नहीं, विकुर्वता नहीं और विकुर्वेगा भी नहीं ।
३ प्रश्न - हे भगवन् ! जैसे कोई पुरुष, हिरण्य ( चाँदी) की पेटी लेकर गमन करता है, उसी प्रकार भावितात्मा अनगार भी हिरण्य की पेटी हस्तगत करके (ऐसे रूप की विकुर्वणा करके) स्वयं ऊँचे आकाश में उड़ सकता है ? ३ उत्तर - हे गौतम ! यह सभी पूर्ववत् जानना चाहिये। इसी प्रकार स्वर्ण की पेटी, रत्नों की पेटी, वज्र की पेटी, वस्त्रों की पेटी और आभूषणों की पेटी लेकर आकाश में गमन कर सकता । इसी प्रकार विदलकट ( बांस की चटाई ) शुम्बकट ( वीरण घास की चटाई ) चर्मकट ( चर्म से भरी हुई चटाई या खाट आदि) कम्बलकट ( ऊन के कम्बल का बिछौना) तथा लोह का भार, ताम्बे का भार, कलई का भार, शीशे का भार, हिरण्य का भार, स्वर्ण का भार और वज्र का भार लेकर ( इन सभी रूपों की विकुर्वणा करके ) ऊँचे आकाश में उड़ सकता है ।
२२६५
४ प्रश्न - से जहाणामए वग्गुली सिया, दो वि पाए उल्लंबिया - उल्लंचिया उपाया अहोसिरा चिट्ठेजा; एवामेव अणगारे विभावि - प्पा वग्गुलीकिञ्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं० ?
४ उत्तर - एवं जण्णोवयवत्तव्वया भाणियव्वा, जाव विउव्वि
संति वा ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org