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भगवती मूत्र-दा. १३ उ. ७ मन और काया आत्मा है. या अनात्मा ?
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१७ उत्तर-गोयमा ! सत्तविहे काये पण्णत्ते, तं जहा-१ ओराले, २ ओरालियमीसए, ३ वेउविए, ४ वेउब्वियमीसए, ५ आहारए, ६ आहारगमीसए, ७ कम्मए। .
कठिन शब्दार्थ-मणिज्जमाणे-मनन करते समय।
भावार्थ-९ प्रश्न-हे भगवन् ! मन, आत्मा है या आत्मा से अन्य ?
९ उत्तर-हे गौतम ! मन आत्मा नहीं, आत्मा से अन्य है, इत्यादि जिस प्रकार भाषा के विषय में कहा, उसी प्रकार मन के विषय में भी, यावत् 'अजीवों के मन नहीं होता'-तक कहना चाहिये।
१० प्रश्न-हे भगवन् ! मनन से पूर्व मन होता है, मनन के समय मन होता है या मनन-समय बीत जाने पर मन होता है ?
१० उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार भाषा के सम्बन्ध में कहा, उसी प्रकार मन के विषय में भी कहना चाहिये।
११ प्रश्न-हे भगवन् ! मनन के पूर्व मन का भेदन होता है, मनन के समय मन का भेदन होता है या मनन-समय बीत जाने पर मन का भेदन होता है ?
११ उत्तर-हे गौतम ! भाषा सम्बन्धी कथन यहाँ भी कहना चाहिये। १२ प्रश्न-हे भगवन् ! मन कितने प्रकार का कहा गया है ?
१२ उत्तर-हे गौतम ! मन चार प्रकार का कहा गया है । यथा१ सत्यमन, २ मृषामन, ३ सत्यमृषामन और ४ असत्यामृषामन ।।
१३ प्रश्न-हे भगवन् ! काय आत्मा है या आत्मा से अन्य ? १३ उत्तर-हे गौतम ! काय, आत्मा भी है और आत्मा से भिन्न भी। १४ प्रश्न-हे भगवन् ! काय रूपी है या अरूपी ?
१४ उत्तर-हे गौतम ! काय रूपी भी है और अरूपी भी। इसी प्रकार पूर्ववत् एक-एक प्रश्न करना चाहिये । (उत्तर) हे गौतम ! काय सचित्त भी है और अचित्त भी। काय जीव रूप भी है । और अजीव. रूप भी । काय जीवों
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