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________________ भगवती स्त्र-श. १३ उ. ७ मापा जीव या अजीव २२४७ कठिन शब्दार्य-आया-आत्मा (जीव), अण्णा-अन्य, मिज्जइ- भेदन होती है । - भावार्थ--१ प्रश्न-राजगृह नगर में गौतम स्वामी ने इस प्रकार पूछा"हे भगवन् ! भाषा, आत्मा (जीव स्वरूप) है या अन्य (आत्मा से भिन्न ) है ?" १ उत्तर-हे गौतम ! भाषा, आत्मा नहीं है, अन्य (आत्मा से भिन्न अर्थात् पुद्गल स्वरूप) है। २ प्रश्न-हे भगवन् ! भाषा रूपी है या अरूपी ? २ उत्तर-हे गौतम ! भाषा रूपी है, अरूपी नहीं। ३ प्रश्न-हे भगवन् ! भाषा सचित्त है या अचित्त ? ३ उत्तर-हे गौतम ! भाषा सचित्त नहीं, अचित्त है । ४ प्रश्न-हे भगवन् ! भाषा जीव है या अजीव ? .४ उत्तर-हे गौतम ! भाषा जीव नहीं, अजीव है। ५ प्रश्न-हे भगवन् ! भाषा जीवों के होती है या अजीवों के ? .५ उत्तर-हे गौतम ! भाषा जीवों के होती है, अजीवों के नहीं होती। ६ प्रश्न-हे भगवन् ! बोलने के पूर्व भाषां कहलाती है, बोलते समय भाषा कहलाती है या बोलने के बाद भाषा कहलाती है ? ६ उत्तर-हे गौतम ! बोलने के पूर्व भाषा नहीं कहलाती, बोलते समय भाषा कहलाती है । बोलने के पश्चात् भी भाषा नहीं कहलानी। ...७ प्रश्न-हे भगवन् ! बोलने से पूर्व भाषा का भेदन होता है, बोलते समय भाषा का भेदन होता है या बोलने के पश्चात् भाषा का भेदन होता है ? ७ उत्तर-हे गौतम ! बोलने से पूर्व भाषा का भेदन नहीं होता, बोलते समय भाषा का भेदन होता है। बोलने के पश्चात् भी भाषा का भेदन नहीं होता। ८ प्रश्न-हे भगवन् ! भाषा कितने प्रकार की कही गई है ? । ८ उत्तर-हे गौतम ! भाषा चार प्रकार की कही गई है । यथा-सत्य भाषा, मृषा भाषा (असत्य भाषा), सत्यमृषा भाषा (मिश्र भाषा), असत्यामषा भाषा (व्यवहार भाषा)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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