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________________ भगवती सूत्र--श..: . ८ प्रदशा का अयगाला स्थान में प्रथम के तीन द्रव्यों के (धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय के) असंख्य प्रदेश कहने चाहिए और पीछे के तीन (जीवास्तिकाय, पुद्गलारितकाय और अद्धा-समय) द्रव्यों के अनन्त प्रदेश कहने चाहिये । यावत् अद्धा-समय तक कहना चाहिए । यावत् प्रश्न-कितने अडा-समय अवगाढ़ होते है ? उत्तर-एक भी अवगाढ़ नहीं । ४२ प्रश्न-हे भगवन् ! जहाँ एक पृथ्वीकायिक जीव अवगाढ़ होता है, वहीं दूसरे कितने पृथ्वीकायिक जीव अवगाढ़ होते है ? ४२ उत्तर-हे गौतम ! असंख्य पृथ्वीकायिक जीव अवगाढ़ होते हैं। . प्रश्न-कितने अप्कायिक जीव अवगाढ़ होते है ? उत्तर-असंख्य जीव अवगाढ़ होते हैं। प्रश्न-कितने तेजस्कायिक जीव अवगाढ़ होते हैं ? उत्तर-असंख्य अवगाढ़ होते हैं। प्रश्न-कितने वायुकायिक जीव अवगाढ़ होते हैं ? उत्तर-असंख्य होते है। प्रश्न-कितने वनस्पतिकायिक जीव अवगाढ़ होते हैं ? उत्तर-अनन्त जीव अवगाढ़ होते है ४३ प्रश्न-हे भगवन् ! जहाँ एक अप्कायिक जीव अवगाढ़ होता है, वहां कितने पृथ्वीकायिक जीव अवगाढ़ होते हैं ? ४३ उत्तर-हे गौतम ! असंख्य जीव अवगाढ़ होते हैं। प्रश्न-दूसरे कितने अकायिक जीव अवगाढ़ होते हैं ? • उत्तर-असंख्य होते हैं। जिस प्रकार पृथ्वीकायिक जीवों को वक्तव्यता कही, उसी प्रकार सभी की सभी वक्तव्यता कहनी चाहिये । यावत् वनस्पतिकायिक तक कहनी चाहिये। यावत्-- प्रश्न-कितने अन्य वनस्पतिकायिक जीव अवगाढ़ होते हैं? उत्तर-अनन्त । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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